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सगाई

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सगाई, जंवाई-बहू का नेग, मुद्दा, चीकणी कोथली

सगाई/ रोकना (लड़का / लड़की) :

जब रिश्ते की बात निश्चित होती है तो अच्छा दिन देखकर घरवाले एक आयोजन द्वारा इस रिश्ते को पक्का करते हैं। जिसे सगाई का दस्तूर व रोकना कहते हैं।

सामान्यतया लड़की के घर लड़का का एवं लड़के के घर लड़की का सगाई / रोकना का दस्तूर होता था। आजकल प्रायः एक ही जगह लड़के व लड़कीवाले एकत्र होकर सगाई/रोकने का दस्तूर साथ में ही करते हैं।

सगाई लड़की की (तैयारी लड़के के घर पर) :

आरता की थाली (रोळी, मोळी, चावल, गुड़, दूब, पानी की गड्डी), फूलमाला, खोळ का सामान (नारियल, बादाम, काजू, किशमिश, छुवारा, मिश्री, गिन्नी या रुपये), (गिन्नी जब भी किसी को देवें, साथ में चांदी का एक रुपया देना चाहिये), दो साड़ी, शृंगार का सामान, गहने, गिफ्ट का सामान व बहू के लिये लिफाफा एवं मिठाई । लड़की के भाई/बहिन व मित्र जो उपस्थित हों उनके लिये लिफाफे, लाल/पीळी बड़ी रुमाल (खोळ के लिये) ।

सगाई एवं Ring Ceremony का दस्तूर साथ हो तो व्यवस्था तदनुसार करनी चाहिये।

सगाई लड़की की (तैयारी लड़की के घर पर) :

चौकी, गद्दी, लड़की के दस्तूर के समय लाल-पीले रंग की सजी हुई बड़ी रुमाल, सगों (लड़केवालों) के लिये एवं साथ में आये हुये मुनीम, आदमी, नौकर / ड्राईवर के लिये लिफाफे। आये हुये सभी मेहमानों की खातिरदारी एवं भोजन / नाश्ता की व्यवस्था ।

सगाई का दस्तूर - लड़की का, लड़केवालों द्वारा (लड़की के घर पर ) :

सगाई का दस्तूर करने लड़के वाले लड़की के घर सामान्यतया जाते हैं।

बहू को टीका करते हैं। गहने पहनाते हैं। फूल माला पहनाते हैं। खोळ भरते हैं- गिन्नी, रुपया, नारियल और मेवा से (बादाम, काजू, किशमिश, छुवारा, मिश्री), (गिन्नी जब भी किसी को देवें साथ में चांदी का रुपया देते हैं), साड़ी व शृंगार का सामान देते हैं। बहू के भाई या बहिन जो उपस्थित हों उनको लड़केवाले भेंट (गिफ्ट) या लिफाफा देते हैं। जो सामान की थाली (Tray) लड़केवालों की आती है, उसे खाली होने पर उसमें कुछ मिठाई व शगुन का लिफाफा लड़कीवाले रखते हैं। (कोई भी बर्तन खाली वापस नहीं भेजना चाहिए।) आये हुये मेहमानों को एवं साथ में आनेवाले आदमियों Servants/Drivers/मुनीम को लड़कीवाले भोजन/ नाश्ता करवाते हैं व लिफाफे देते हैं।

सगाई का दस्तूर - लड़के का (तैयारी लड़की के घर पर) :

आरता की थाली (रोळी, मोळी, चावल, गुड़, दूब, पानी की गड्डी), फूलमाला, खोळ के लिए चांदी का प्याला, गिन्नी या रुपये (खोळ के लिये नारियल, बादाम, काजू, किशमिश, छुवारा, मिश्री), (गिन्नी जब भी किसी को देवें साथ में चाँदी का रुपया देवें ।) जंवाई के कपड़े, गहना व घड़ी आदि (इच्छानुसार), गिफ्ट का सामान व लिफाफे, मिलनी के लिफाफे, आदमियों के लिये लिफाफे, फल, मेवा व मिठाई ।

सगाई का दस्तूर - लड़के का (तैयारी लड़के के घर पर ) :

एक चौकी, एक गद्दी, लड़के के दस्तूर के समय लाल / पीले रंग की बड़ी रुमाल, आनेवाले मेहमानों की व्यवस्था, मनुहार, भोजन / नाश्ते की व्यवस्था।

सगाई का दस्तूर - लड़के का ( दस्तूर लड़के के घर पर) :

लड़की परिवार का बड़ा, जंवाई को तिलक करते हैं। फूलमाला पहनाते हैं। खोळ भरते हैं। कपड़े व सामान देते हैं। गहना व घड़ी आदि देते हैं। मेवा, मिठाई, फल देते हैं। मिलनी (इच्छानुसार) वर-पक्ष की महिलाओं व पुरुषों की होती है। जो सामान की थाली लड़की परिवार की आई है उसे खाली होने पर उसमें कुछ शगुन की मिठाई एवं लिफाफा लड़केवाले रखते हैं। लड़की परिवारवालों की खातिरदारी लड़केवाले करते हैं एवं नाश्ता/भोजन कराते हैं। साथ में आनेवाले आदमियों को भी भोजन / नाश्ता करवाते हैं व लिफाफा देते हैं। विदाई के समय लड़केवाले, दस्तूर करने आये हुये छोटों (बहिन/भाइयों) को लिफाफे देते हैं।

Ring Ceremony :

आजकल Ring Ceremony का प्रचलन हो गया है। सगाई रोकने के दस्तूर के अतिरिक्त होता है, जिसमें लड़का, लड़की को एवं लड़की, लड़के को अंगूठी पहिनाती है।

सगाई पश्चात् जंवाई के नेग :

दीपावली :

कुर्ता-पाजामा अथवा पेन्ट-शर्ट, कुर्ते के बटन ( इच्छानुसार), सासु की दो साड़ी, चांदी का सामान (देना हो तो अथवा लड़केवाले लेते हों तो), मेवा, मिठाई, फल, (जंवाई के परिवार के हिसाब से भेजना चाहिये), पटाखे ।

संक्रांति :

(यह 14 जनवरी को होती है।) जंवाई के कपड़े, लिफाफा, सासु के लिये एक साड़ी, मिठाई (सगों के परिवार के हिसाब से भेजना चाहिये।) घेवर (सुविधा हो तो), नहीं तो दूसरी मिठाई फीनी (सुविधा हो तो), नहीं तो अन्य मिठाई, फल।

होली :

जंवाई के कपड़े, लिफाफा, चांदी की पिचकारी, चांदी की एक डब्बी में केसर, होली के रंग, ठण्डाई, मिठाई, फल। गर्मियों में मई-जून में सगों को आम व शर्बत भी भेजते हैं।

चांदनी चोथ का सिंजारा :

यह सिंजारा गणेश चतुर्थी को भादो शुक्ल पक्ष में आता है। जंवाई यदि गांव में हो तो घर बुलाकर नेग करते हैं। जंवाई के कपड़े, चांदी के 2 डंके, मिठाई, फल। जंवाई को भोजन/नाश्ता कराते हैं। जंवाई के साथ जो आदमी या ड्राइवर आता है उसे नाश्ता करवाते हैं, लिफाफा देते हैं। जंवाई दूसरे शहर में हो तो त्यौहार का उपरोक्त सामान भेजा जाता है

जन्म दिन पर नेग :

आजकल जंवाई के जन्मदिन पर भी नेग होता है। कपड़े, लिफाफा, गिफ्ट, मिठाई व फल भेजते हैं।

सगाई पश्चात् बहू के नेग :

दीपावली :

बहू के लिए खुश रंग के कपड़े (लाल, पीला, केसरिया)- एक साड़ी, एक घाघरा या 2 साड़ियां या 2 ड्रेस, गहना (इच्छानुसार), श्रृंगार का सामान, लिफाफा, छोटे भाई-बहिन हों उनके लिये Gift, मिठाई ।

होली :

बहू के लिए खुश रंग के कपड़े (एक साड़ी या एक ड्रेस), गहना (इच्छानुसार), कुछ शृंगार का सामान, लिफाफा, होली के रंग, मिठाई ।

गौर का सिंजारा :

साड़ी 2 या 2 ड्रेस, गहना (इच्छानुसार), शृंगार का सामान, लिफाफा, मिठाई। शहर में हो तो मेहंदी लगाने बहू को घर पर बुलाते हैं व नाश्ता या भोजन कराकर सामान देकर भेजते हैं। साथ में भाई/बहिन व सहेली आये उनको भी नाश्ता/भोजन कराकर लिफाफा व गिफ्ट देते हैं। साथ में ड्राइवर/आदमी आयें उनको भी नाश्ता/भोजन एवं लिफाफा देकर भेजते हैं। दूसरे शहर में हो तो सामान के साथ मेहंदी भी भेजते हैं।

तीज का सिंजारा :

साड़ी 2 या 2 ड्रेस, गहना (इच्छानुसार), शृंगार का सामान, लिफाफा, मिठाई, शहर में हो तो मेहंदी लगाने घर पर बुलाते हैं व नाश्ता या भोजन कराकर सामान देकर भेजते हैं। साथ में भाई/बहिन व सहेली आये उनको नाश्ता/भोजन कराकर लिफाफा व गिफ्ट देते हैं। साथ में ड्राइवर/आदमी आयें उनको भी नाश्ता/भोजन व लिफाफा देकर भेजते हैं। दूसरे शहर में हो तो सामान व मेहंदी भेजते हैं।

जन्म दिन पर नेग

आजकल बहू के जन्मदिन पर भी नेग होता है। कपड़े, गहना, सामान, मिठाई, भेजते हैं।

मुद्दा - टीका (तैयारी लड़की के घर पर )

जंवाई के दो जोड़ी कपड़े, सामान ( इलेकट्रोनिक), केमरा, घड़ी, बेल्ट, Perfume आदि, गहना (इच्छानुसार), फूलमाला, आरता की थाली (रोळी, मोळी, चावल, गुड़, दूब, पानी की गड्डी), चांदी के प्याले में मेवा, गिन्नी या रुपये, मेवा (नारियल, बादाम, काजू, किशमिश, छुवारा, मिश्री), (गीन्नी जब भी देवें चांदी का एक रुपया साथ में देना चाहिये।) सासु की दो साड़ियां, चांदी का सामान जो देना हो, छोटे भाई-बहिनों के कपड़े या लिफाफे, मिलनी इच्छानुसार (घर की महिलाएं बेटेवालों की महिलाओं को देती हैं।) पुरुषों की भी मिलनी होती है। मुद्दा के लड्डू जितने सगों के लगते हैं पूछकर भेजना चाहिये। मेवा, मिठाई, बादाम की कतली, फलों की टोकरियां, रुपयों की थैली, ऊंवारी का लिफाफा, आदमियों के लिफाफे मुद्दा भरने लड़की का भाई, साथ में जंवाई, मुनीम, नौकर जाते हैं, उन्हें भी लिफाफा देते हैं।

मुद्दा - टीका का दस्तूर :

लड़केवालों के घर सामान लेकर लड़कीवाले जाते हैं। सर्वप्रथम पण्डितजी गणेशजी की पूजा कराते हैं। तत्पश्चात लड़की का भाई, जंवाई को तिलक करता है। (कहीं कहीं घर के बड़े तिलक करते हैं।) माला पहिनाता है। खोळ भरता है। कपड़ा, गहना व सामान जंवाई को देता है। सगों की बहिन-भूवा आरता करती है। (लिफाफा लड़कीवालों का होता है।) लड़की का भाई ऊंवारी करता है एवं लिफाफा लड़केवालों के नाई अथवा नौकर को देता है।

चीकनी कोथली (तैयारी लड़के के घर पर) :

चार साड़ी या ड्रेस, गहने, शृंगार का सामान, Decoration का सामान, पर्स में रुपये, खोळ के लिये सजी हुई टोकरी या सुन्दर थैली में खोळ (नारियल, बादाम, काजू, किशमिश, मिश्री, छुआरा), गिन्नी या रुपये, (गिन्नी हो तो चांदी का एक रुपया भी), एक फूलमाला, आरता की थाली- (रोळी, मोळी, चावल, गुड़, दूब, पानी की गड्डी), मिठाई, मेवा, फल, लाल-पीळी बड़ी रुमाल खोल के लिये, रंगीन छोटा गमछा या पेपर नेपकिन, रुपयों की थेली, आरता का लिफाफा, ऊंवारी का लिफाफा, छोटे भाई-बहिनों के कपड़े या लिफाफे, आदमियों के लिफाफे।

चीकनी कोथली का नेग :

लड़कीवालों के घर लड़के की बहिन/भूवा एवं भाभी 4/5 व्यक्ति जाते हैं। एक चौकी पर गद्दी लगाकर बहू को पूर्व/पश्चिम दिशा में बैठाते है। सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा कराते हैं। लड़के परिवार से आयी बड़ी, बहू के तिलक करती है। माला पहनाती है। गहना पहनाती है। खोळ भरती है। लड़कीवालों की भूवा-बहिन आरता करती है । ( आरता का नेग लड़कीवालों की तरफ का होता है।) नेग लेकर आनेवाली महिलाओं को लड़कीवाले लिफाफे देते हैं। उन्हें नाश्ता कराते हैं। आदमियों को भी नाश्ता कराते हैं एवं लिफाफा देते हैं।

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